जिंदगी अब मुझसे थक जाने को कहती है..; मुनव्वर राणा की ये 10 मशहूर शायरियां - Munawwar Rana Top 10 Shayari

'जिंदगी अब मुझसे थक जाने को कहती है..'; मुनव्वर राणा की ये मशहूर शायरियां हमेशा जिंदा रहेंगी, मां पर बोलते तो रोने लगते

Famous Indian Shayar Munawwar Rana Died Munawwar Rana Top 10 Shayari

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Shayar Munawwar Rana Died: हिन्दी-उर्दू जुबां के मशहूर शायर मुनव्वर राणा अब इस दुनिया में नहीं रहे। रविवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। मुन्नवर राणा 71 साल के थे। बताया जाता है कि, मुनव्वर राणा की सेहत काफी लंबे समय से ठीक नहीं चल रही थी। वह गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। ज्यादा हालत बिगड़ने के चलते उन्हें हाल ही में लखनऊ पीजीआई में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। लेकिन अफसोस कि मुनव्वर राणा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। मुनव्वर राणा के निधन से शायरी जगत को बड़ा नुकसान हुआ है। शायरी जगत को मुनव्वर राणा की कमी हमेशा खलेगी और उनकी शायरियां (Munawwar Rana Famous Shayari) लोगों को उनकी याद दिलाती रहेंगी।

बेबाक ख्याल थे, तंज भी अदब से कसते थे

शायर मुनव्वर राणा की शख्सियत और शायरों से उन्हें अलग बनाती थी। मुनव्वर राणा नायाब शख्सियत थे। बेबाक ख्याल रखने वाले मुनव्वर राणा अगर किसी पर तंज भी कसते थे तो बड़े अदब से। मुनव्वर राणा का सहज स्वाभाव था। वहीं मुनव्वर राणा जिस प्रकार से शायरियां कहते थे वो अंदाज भी उनका अलग ही था। किसी शायरी के जज़्बात पर मुनव्वर राणा की झलख वैसी ही हो जाती थी। मुनव्वर राणा ने मां और ज़िंदगी के जज़्बातों पर कई बार रोते हुए शायरियां कहीं हैं। या यूं कहें कि मां पर कही शायरियों ने ही मुनव्वर राणा को मशहूर बनाया। हालांकि, सहमति असहमति के दौर में मुनव्वर राणा कुछ विवादों में भी रहे। लेकिन मुनव्वर राणा में यह बात थी कि वह देश की शान पर अपने ख्यालों को लेकर हमेशा मुखर रहे। मुनव्वर राणा भारत और भारत की मिट्टी का अपनी शायरियों (Munawwar Rana Top 10 Shayari) में जिक्र किया करते थे।

रायबरेली में जन्मे थे मुनव्वर राणा

भारत विभाजन के समय मुनव्वर राणा के परिवार ज्यादातर लोग पाकिस्तान चले गए थे और वहां जाकर बस गए लेकिन मुनव्वर राणा के पिता ने भारत में ही बसने का फैसला किया। मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के एक गांव में हुआ था। हालांकि बाद में रायबरेली से मुनव्वर राणा का परिवार कोलकाता चला गया, जहां मुनव्वर ने अपनी शिक्षा पूरी की और इसके बाद मुनव्वर राणा का शायराना सफर लखनऊ में शुरू हुआ। जहां से वह शायरी जगत में आ गए। मुनव्वर राणा को अब लिखने का चस्का लग चुका था। जिसके बाद उन्होने अलग-अलग मुशायरों में हिस्सा लिया और अपनी लिखी शायरियां कहने लगे। लोगों को भी मुनव्वर की शायरियां पसंद आईं। जिसके बाद मुनव्वर राणा एक बड़ा नाम बन गए। मुनव्वर राणा को शायरी जगत के कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका था।

सीएम योगी को लेकर विवाद में आ गए थे

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान पाकिस्तान-पलायन और जिन्ना जैसे शब्दों की चर्चा खूब हो रही थी। जहां इसी बीच शायर मुनव्वर राणा ने एक चैनल से इंटरव्यू देते हुए कह दिया था कि वर्तमान योगी सरकार पलायन-पलायन रट रही है, इस सरकार में मुसलमानों में इतना खौफ है कि कोई बोल नहीं सकता है। इसलिए अगर फिर से योगी की सरकार आ जाती है तो यहां रहने की जरूरत नहीं है, मैं यहां से पलायन कर लूंगा'। वहीं इसके बाद विधानसभा चुनाव में मुनव्वर राणा का नाम वोटर लिस्ट से गायब हो गया था। इसके चलते वह वोट नहीं डाल पाए थे। राणा ने कहा था कि मेरा वोटर लिस्ट में नाम नहीं है। इसलिए मैं वोट डालने नहीं जा पाऊंगा।

PM की मां के निधन पर भावुक हुए थे मुनव्वर

पिछले साल जब पीएम मोदी की मां हीराबेन मोदी का निधन हुआ तो मशहूर शायर मुनव्वर राणा भी शोक व्यक्त करते हुए नजर आए थे। मुनव्वर राणा ने कहा था- किसी की भी मां के जाने पर मुझे लगता है कि जैसे मेरी मां चली गई। मुनव्वर ने आगे कहा- मोदी जी अब आप संभल के चलिए, क्योंकि अब मां नहीं है, जिन की दुआएं आपको बचा लिया करती थीं।

मुनव्वर राणा की मशहूर शायरियां

बता दें कि, मुनव्वर राणा ज़िंदगी पर, मौत पर, मां पर, बहन पर, बुजुर्गों पर और नौजवानों व देश पर उम्दा शायरियां लिखा करते थे। मुनव्वर राणा ने ज़िंदगी के अलग-अलग जज़्बातों को अपनी शायरियों में पिरोने की कोशिश की। मुनव्वर राणा की शायरियां (Munawwar Rana Shayari) इंटरनेट पर खूब वायरल हुईं हैं। तो आइए हम भी यहां मुनव्वर राणा की मशहूर शायरियों से रूबरू होते हैं।  

हम दुनिया छोड़ आए हैं... -मुनव्वर राणा


हम सोये तो सोते रह जाएंगे- -मुनव्वर राणा

 

जिंदगी अब मुझसे थक जाने को कहती है.. - मुनव्वर राणा

 

तुम्हारी महफ़िलों में हम बड़े बूढ़े ज़रूरी हैं... -मुनव्वर राणा

 

 

 

''ना कमरा जान पाता है ना अंगनाई समझती है
कहाँ देवर का दिल अटका है भौजाई समझती है

हमारे और उसके बीच एक धागे का रिश्ता है
हमें  लेकिन  वो  सगा  भाई  समझती  है''

''बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है,
न रोया कर बहुत रोने से छाती बैठ जाती है।

यही मौसम था जब नंगे बदन छत पर टहलते थे,
यही मौसम है अब सीने में सर्दी बैठ जाती है।''

''ना जन्नत मैंने देखी है ना जन्नत की तवक़्क़ो है,
मगर मैं ख़्वाब में इस मुल्क का नक्शा बनाता हूं।

मुझे अपनी वफादारी पे कोई शक नहीं होता,
मैं खून ए दिल मिला देता हूँ जब झंडा बनाता हूं।''

''मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ,
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊं।''

''ऐसे तो उससे मोहब्बत में कमी होती है,
माँ का एक दिन नहीं होता है सदी होती है।''

''हम नहीं जानते वो सारे कहां जाते हैं,
जिन के घर गिरते हैं बेचारे कहां जाते हैं।

सोचना होगा हमें, आपको, सबको, मिल कर,
राख होते हैं तो अंगारे कहां जाते हैं।''

''सुख देती हुई माओं को गिनती नहीं आती,
पीपल की घनी छांव को गिनती नहीं आती।

मज़लूमों की तादाद भी तुमको नहीं मालूम,
हैरत है कि आक़ाओं को गिनती नहीं आती।

वरना ये बता देते हमें लाशों की तादाद,
अच्छा है कि दरियाओं को गिनती नहीं आती।''

''ज़िंदगी ताश के पत्तों की तरह है मेरी,
और पत्तों को बहरहाल बिखर जाना है।''

''चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है..!!
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है..!!''

''किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई

यहाँ से जाने वाला लौट कर कोई नहीं आया
मैं रोता रह गया लेकिन न वापस जा के माँ आई''

''इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है''

''उनके होठों से मेरे हक़ में दुआ निकली है,
जब मरज़ फैल चुका है तो दवा निकली है।''

''हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है,
हम अब तनहा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है।।

और अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मूझे कुछ नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है।''

''लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है,
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिंदी मुस्कुराती है।''